विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों के लिए कनाडा अभी भी पसंदीदा देश बना हुआ है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया भी इस कुछ ज्यादा पीछे नहीं है। यहां फीस और रहने के खर्च को लेकर छात्र हितैषी नियम भारतीय छात्रों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते लगाए गए यात्रा नियमों को हटाने का भी असर देखने को मिला है।
ऑस्ट्रेलिया इस मामले में प्रतिस्पर्धा में बने रहने में तो सफल रहा है लेकिन बीते समय में यात्रा दस्तावेजों में धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं। इसके चलते यह इस क्षेत्र में तेज रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। धोखाधड़ी के इन मामलों के चलते छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वीजा पाने में देरी हो रही है या कुछ मामलों में तो उनके आवेदन ही निरस्त कर दिए जा रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि भारतीय छात्रों में ऑस्ट्रेलिया के लिए रुचि बढ़ रही है क्योंकि अब यहां उन्हें एडवांस में केवल छह महीने की फीस जमा करने की जरूरत है। इसके अलावा रहने के लिए उन्हें पहले खर्च करने की बाध्यता नहीं रह गई है। लेकिन कुछ ट्रैवल एजेंट की ओर से दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने के मामले सामने आने के बाद अब छात्रों की राह मुश्किल हो रही है।
इन मामलों के सामने आने के बाद ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी बहुत सख्त निगरानी कर रहे हैं। अनुमति की मुहर लगाने से पहले वह सभी दस्तावेजों की करीबी से जांच कर रहे हैं। इसमें समय लग रहा है और इसी की वजह से छात्रों को वीजा मिलने में समय लग रहा है। खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के छात्रों के वीजा आवेदनों के मामले में अधिक देरी की जानकारी सामने आ रही है।
एक एजुकेशनल कंसल्टेंसी के अनुसार देरी और इनकार का कारण लगभग 600 फर्जीवाड़े के मामले हैं। इनमें से अधिकतर पंजाब और हरियाणा से जुड़े हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के गृह विभाग को हाल ही में इन मामलों का पता चला जिनमें छात्रों की शैक्षिक योग्यता और फंड्स को लेकर फर्जी दस्तावेज लगाए गए थे। इसके चलते सही छात्रों को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।