न्यूयॉर्क में मिली अफगान सिख परिवार को शरण, डर से छोड़ा था अपना देश

मार्च 2020 में इस्लामिक स्टेट के एक आतंकवादी ने काबुल में स्थित एक गुरुद्वारा में गोलीबारी कर दी थी और ग्रेनेड दागे थे। इस घटना में 25 लोग मारे गए थे। पुलिस ने इस वारदात में मारे गए लोगों को उनके परिजनों के अंतिम संस्कार में भी शामिल न होने की चेतावनी दी थी क्योंकि आतंकवादियों ने गुरुद्वारे के बागर लैंड माइंस लगाए थे। हालांकि बाद में जांच और खोजबीन के बाद उन्हें इसकी मंजूरी दे दी गई थी।

इस निर्मम हमले में कुलविंदर सिंह सोनी के पिता, भाभी और चार साल की भतीजी की जान भी चली गई थी।

इस निर्मम हमले में कुलविंदर सिंह सोनी के पिता, भाभी और चार साल की भतीजी की जान भी चली गई थी। सोनी कहती हैं कि तब हमने फैसला किया कि हमें अफगानिस्तान छोड़ देना चाहिए। हमारे परिवार का वहां कोई भविष्य नहीं था। दो साल की कोशिशों के बाद सोनी और उनके परिवार क 12 सदस्य पिछले महीने अमेरिका आने में सफल हो पाए। इस दौरान करीब एक साल उन्हें कट्टरपंथी तालिबान के शासन में रहना पड़ा।