डॉलर की मजबूती से क्यों हैरान-परेशान हैं भारतीय छात्र व उनके अभिभावक

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी नई बात नहीं है। इसका सीधा असर वैश्विक कारोबार के साथ-साथ उन भारतीय लोगों पर भी पड़ता है जिनके बच्चे अमेरिका या विदेशों में पढ़ रहे हैं या पढ़ने की योजना बना रहे हैं। रुपये की टूटन उनके बजट को हिलाकर रख देती है। अब कई देश इस कोशिश में हैं कि भारतीय छात्र उनके यहां आकर पढ़ाई करें लेकिन इसके लिए देश या यूनिवर्सिटी का चुनाव केवल मुद्रा की स्थिति देखकर ही नहीं कई पैमानों के आधार पर किया जाता है।

विदेशों में रह रहे बच्चों को भी अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती और अतिरिक्त आय के लिए कुछ अन्य विकल्प तलाशने पड़ते हैं। Photo by Rajesh Rajput / Unsplash

हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया फिर गिरा और एक समय तो सबसे कमजोर स्थिति (80.05) में आ गया। इससे भारतीयों का बजट और उनकी योजनाएं फिर अस्थिर हो उठीं। जाहिर है जैसे ही रुपये कमजोर होता है भारतीय माता-पिता को विदेशों में पढ़ रहे अपने बच्चों की खातिर जेब अधिक ढीली करनी पड़ती है। यही नहीं, विदेशों में रह रहे बच्चों को भी अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती और अतिरिक्त आय के लिए कुछ अन्य विकल्प तलाशने पड़ते हैं।