सिंगापुर की अदालत ने भारतीय मूल के एक व्यक्ति समेत तीन को रिश्वत लेने के जुर्म में आठ महीने के लिए जेल में डाल दिया है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने मरीन गैस का अनधिकृत हस्तांतरण करने के लिए रिश्वत ली, जो दिग्गज कंपनी शेल को आपूर्ति की गई थी।
जेल में डाले गए भारतीय मूल के 39 वर्षीय आनंद ओमप्रकाश के अलावा मलेशियाई मूल के 40 वर्षीय नोरुलिमान बक्ती और 38 वर्षीय मुहम्मद खैरुल असरी मोहम्मद हनाफिया को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया है। इन्होंने अनधिकृत गैस सप्लाई के लिए 6,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 5 लाख रुपये) से लेकर 25,000 अमेरिकी डॉलर (20 लाख रुपये) के बीच रिश्वत ली थी। इनके अलावा एक अन्य 38 वर्षीय इरविन सुहार्डी जमालुद्दीन पर भी 10,000 अमेरिकी डॉलर (7,75,000 रुपये) रिश्वत लेने का आरोप है, जिसे वह जुलाई तक अदालत में वापस करेगा।
ये सभी उन 12 सर्वेक्षकों में शामिल थे जिन पर 14 अप्रैल को शेल कर्मचारियों जुआंडी पुंगोट, मुजफ्फर अली खान मुहम्मद अकरम और रिचर्ड गोह ची केओंग से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। इन 12 पर 2014 और 2017 के बीच कुल मिलाकर लगभग 300,000 सिंगापुरी डॉलर यानी 1 करोड़ 70 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। इनके अधिकांश मामले लंबित हैं।
मिली जानकारी के अनुसार गैस तेल की हेराफेरी 2007 की शुरुआत में शुरू हुई जब शेल कंपनी का कर्मचारी और प्रमुख मास्टरमाइंड जुआंडी पुंगोट ने कम कीमतों पर बेची जाने वाली साइफोन गैस से मुनाफा कमाया। इस सिंडिकेट ने शेल की आंतरिक प्रणालियों के अपने संयुक्त ज्ञान का लाभ उठाते हुए वर्षों तक पहचान से बचने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया और खूब रिश्वत बटोरी।
बता दें कि 31 मार्च को जुआंडी पुंगोट को 128 मिलियन सिंगापुरी डॉलर यानी 725 करोड़ रुपये की कीमत के 200,000 टन से अधिक तेल की हेराफेरी में मास्टरमाइंड की भूमिका के लिए 29 साल की जेल हुई थी। यह व्यावसायिक अपराध के लिए सबसे लंबी जेल की सजा में से एक है। इस साजिश को लेकर कम से कम 26 लोगों को अदालत में पेश किया गया जिसे शेल ने पहली बार 2015 में पुलाऊ (द्वीप) बुकोम में हेराफेरी करते हुए पहली बार देखा था। बता दें कि भ्रष्टाचार के अपराध के लिए सिंगापुर में अधिकतम जुर्माना 100,000 सिंगापुरी डॉलर (लगभग 60 लाख रुपये) और पांच साल की जेल है।