Skip to content

इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल में विलय

साल 1947-48 के पाकिस्तान के साथ युद्ध से लेकर वर्तमान तक विभिन्न युद्ध व आतंकी घटनाओं में शहीद हुएसैनिकों के नाम वॉर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर लिखे हुए हैं। वैसे साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ था।

Photo by shalender kumar / Unsplash

लगभग 50 साल तक भारत की राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति की अखंड ज्योति को अब आप गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड के दौरान नहीं देख पाएंगे। अमर जवान ज्योति की वो खूबसूरत झलक अब नहीं दिखेगी। दरअसल आज से अमर जवान ज्योति को हमेशा के लिए नजदीक में ही बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक यानी वॉर मेमोरियल की मशाल में विलय कर दिया है। इतना ही नहीं इंडिया गेट के सामने 150 मीटर दूरी बनी हुई छतरी में भारत के लाल सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा आने वाले वक्त में लगाई जाएगी। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीटर से की है। कभी इस छतरी के नीचे जॉर्ज पंचम का बुत हुआ करता था।

अमर जवान ज्योति के वॉर मेमोरियल में मौजूद मशाल में विलय को लेकर भारत सरकार का तर्क है कि यह फैसला दोनों अखंड ज्योत के रखरखाव में समस्या आने के कारण लिया गया है। यानी दोनों का रखरखाव कठिन हो रहा था। इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया है कि देश के शहीदों के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पहले ही बनाया जा चुका है, इसलिए इंडिया गेट पर एक अलग लौ क्यों जलाई जानी चाहिए। यह सेना से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा गया है।

सेना के सूत्रों ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में उन शहीदों के नाम भी हैं जो इंडिया गेट पर खुदे हुए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में उन सभी भारतीय रक्षा कर्मियों के नाम भी हैं जिन्होंने विभिन्न अभियानों में अपनी जान गंवाई है। साल 1947-48 के पाकिस्तान के साथ युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक सभी सैनिकों के नाम वॉर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर लिखे हुए हैं। स्मारक की दीवारों पर आतंकवाद विरोधी अभियानों में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम भी शामिल हैं।

क्या है अमर जवान ज्योति का इतिहास

This post is for paying subscribers only

Subscribe

Already have an account? Log in

Latest