लीडरशिप अवार्ड विजेता सारू जयरामन ने कहा- सभी कर्मचारी उचित वेतन के हकदार
रेस्तरां उद्योग संयुक्त रूप से अमेरिका में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है। इस क्षेत्र में 1 करोड़ 40 लाख से अधिक लोग काम करते हैं और अधिकांश नियोक्ता और कर्मचारी अश्वेत हैं। इसी प्रलिखित या अप्रमाणित अप्रवासी खाद्य सेवा श्रम बल में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। यह अलग बात है कि यहां काम के घंटे अधिक हैं और वेतन कम।
रेस्तरां कर्मचारी इस फूड चेन में सबसे कम वेतन पाने वाले लोगों में से हैं। अक्सर उनका वेतन 3.83 डॉलर (करीब 300 रुपये) प्रति घंटा जितना कम होता है। हालांकि संघीय वेतनमानों के हिसाब से उन्हे कम से कम 580 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से पैसा मिलना चाहिए। लेकिन रेस्तरां मालिक टिप को भी वेतन का एक हिस्सा ही मानते हैं। इसीलिए कम पैसा देने पर किसी को कोई दिक्कत नहीं।
इस संदर्भ में संघीय वेतनमान को 1200 रुपये प्रति घंटे कराने की कई कोशिशें हुईं पर सब बेकार गईं। वाशिंगटन, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट और मैसाचुसेट्स में ही न्यूनतम वेतन 15 डॉलर प्रति घंटा या उससे अधिक है। कोविड महामारी के बाद अब एक बार फिर से कर्मचारी उस मांग को उठाते हुए अपनी लड़ाई जारी कर रहे हैं और उचित वेतन के लिए आवाज उठा रहे हैं।
इस बारे में जेम्स इरविन लीडरशिप अवार्ड विजेता और One Fair Wage की संस्थापक-अध्यत्र सारू जयरामन कहती हैं कि इस समय हम ऐतिहासिक स्थितियां देख रहे हैं। यह श्रमिक विद्रोह का दौर है जिसमें अर्थव्यवस्था में कम वेतन वाले श्रमिक और विशेष रूप से रेस्तरां उद्योग में काम करने वाले मजदूर पहली बार कम पैसों में काम करने से इनकार कर रहे हैं। कम वेतन पाने वाले लाखों कर्मचारी कह रहे हैं कि अब हम और नहीं करने वाले।
सारू बताती हैं कि इस कारोबार में यौन उत्पीड़न बहुत है। किसी अन्य उद्योग से कहीं अधिक या सबसे ज्यादा। रेस्तरां में काम करने वाली हजारों महिलाएं हमे बताती हैं कि ग्राहकों की ओर से उनसे लगातार कहा जाता है कि अपना मास्क उतारो ताकि पता चले तुम कितनी सुंदर हो, उसी हिसाब से टिप मिलेगी। तो, इस तरह का व्यवहार और कम पगार के चलते करीब 12 लाख मजदूरों ने इस क्षेत्र से किनारा कर लिया और लगभग 60 फीसदी कर्मचारी जाने की फिराक में हैं। सारू बताती हैं कि इस समय उद्योग में विद्रोह और उथल-पुथल के हालात हैं। कम वेतन के कारण रेस्तरां मजदूर पहली बार काम करने से मना कर रहे हैं।
सारू का अभियान 25 राज्यों में सक्रिय है और वर्तमान में '25 से 250' मुहिम चला रहा है, जो 2026 तक 25 राज्यों में उप-न्यूनतम मजदूरी को समाप्त करने का प्रयास है। सारू को 13 फरवरी को जेम्स इरविन फाउंडेशन लीडरशिप सम्मान देने की घोषणा की गई थी। उनके अलावा छह अन्य लोगों को भी यह अवार्ड दिया गया है। जयरामन यह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय-अमेरिकी हैं। नैनदीप सिंह को पिछले साल कैलिफोर्निया की सेंट्रल वैली में पंजाबी सिख आबादी पर केंद्रित एक युवा नेतृत्व विकास संगठन, जकारा मूवमेंट के साथ अपने काम के लिए यह पुरस्कार दिया गया था।