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अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त ध्वनि है ‘ओ३म्’

‘ओ३म्’ साम्प्रदायिक ध्वनि नहीं, सबके पूर्वज इसे ही गाते थे

अमेरिकी यात्रा की तैयारी - 3

इस ब्रह्मांड में स्थित सभी धरतियों पर उत्पन्न होने वाली प्रथम पीढ़ी की ज्ञाननिधि वेद संहिताओं को साथ रखने के उपरांत अब मैंने विभिन्न 7 रत्नों में सम्मिलित ब्रह्माण्डीय ध्वनि-ध्वज को साथ में ले जाने का निश्चय किया।

विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह उस ध्वनि के बारे में जाने, जिससे उनके पूर्वजों का विशेष नाता रहा है।

इस संसार में धर्म के नाम पर जो बड़े विवाद उत्पन्न हुए हैं वे वास्तविक ईश्वर को ध्यान में रखकर नहीं हुए बल्कि विश्व इतिहास में जन्मे उन स्त्री-पुरुषों को लेकर हुए हैं, जिन्हें अत्यधिक महिमामंडित कर ईश्वर का स्थान दे दिया गया है।

कोई अपने इष्ट को श्रीराम नाम से पुकारता है, कोई श्रीकृष्ण, शिव, विष्णु, हनुमान के नाम से जानता है। कोई तीर्थंकर या बुद्ध को ध्याता है, वहीं बहुत लोग ऐसे भी हैं जो कुछ सौ वर्षों से गॉड की नई कल्पना में जी रहे हैं तथा कुछ लोग अपने इष्ट को अल्लाह कहते हैं । कोई भगवान को अवतार मानता है, कोई उसे ईश्वर का पुत्र या पैगंबर मानता है।

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