सांसों का छोटा सा अभ्यास स्कूली छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद है
स्कूल में पढ़ाई के साथ प्राणायाम का अभ्यास यूं तो भारत में कई जगहों पर प्रचलित है। भारत के कई स्कूलों में क्लास शुरू होने से पहले योग का अभ्यास कराया जाता है। पीएम मोदी की पहल के बाद अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को दुनिया भर में मान्यता मिलने के बाद अमेरिका के भी कई स्कूलों में योगाभ्यास को शामिल किया गया है। अब धीरे-धीरे इसमें प्राणायाम को भी जोड़ा जा रहा है। क्या यह तनाव से गुजर रहे स्कूली छात्रों का जीवन बदल सकता है? ये किस तरह से उनके लिए फायदेमंद हो सकता है?
अभी कुछ दिन पहले एक खबर आई थी कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के पब्लिक स्कूलों में एक मिलियन से अधिक छात्रों के दैनिक दिनचर्या में सावधानीपूर्वक श्वास लेने के अभ्यास जिसे प्राणायम कहते हैं, जोड़ा जाएगा। मेयर एरिक एडम्स और शहर के शिक्षा चांसलर डेविड बैंक्स ने 27 जून को इस नई पहल की घोषणा की थी। प्रस्ताव यह था कि किंडरगार्टन से हाई स्कूल तक प्रत्येक दिन छात्रों को दो से पांच मिनट तक लंबी गहरी सांस को लेने और छोड़ने का अभ्यास कराया जाएगा। जो कोई इसमें शामिल नहीं होना चाहता है वह अभ्यास से बाहर निकल सकता है।
इस पहल के पीछे असली वजह योग दर्शन की ताकत है। जो लोग योग के अभ्यासी हैं और इस प्रक्रिया को जानते हैं उन्हें पता है कि गहरी सांस लेने का छोटा सा काम आपके पूरे दिन को बदल सकता है। सांस लेने से आपका तंत्रिका तंत्र शांत हो जाता है। शायद मेयर एरिक एडम्स इस तथ्य से जरूर वाकिफ होंगे। इस लिए उन्होंने घोषणा में कहा था कि यह प्रक्रिया हमें संतुलन और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह एक मूल्यवान प्रक्रिया है जो मानसिक स्वास्थ्य और जीवन के लिए लाभदायक साबित हुआ है।
दरअसल, योग और प्रणायाम के इतने फायदे हैं कि इससे कोई अछूता नहीं रह सकता है। धीमी गति से सांस लेने का अभ्यास तनाव को कम कर देता है। विश्राम को बढ़ावा दे सकते हैं और आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। ये छात्रों के लिए सबसे अधिक जरूरी है।
इस पहल को शुरू करने के पीछे मकसद छात्रों की मानसिक अवस्था को बेहतर करना है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा किए गए 2021 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 42 प्रतिशत छात्रों ने अपने जीवन में खुद को निराश महसूस किया। 29 प्रतिशत छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य खराब था। कक्षा में तनाव से राहत देने वाली सांस लेने और छोड़ने की ये तकनीक से उन्हें अपनी भावनाओं, दिमाग और शरीर को संतुलित करने मदद मिल सकती है। इससे छात्रों का फोकस बढ़ेगा और वे अपनी पढ़ाई में और भी अधिक बेहतर कर सकते हैं।