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भारत के पारंपरिक ज्ञान से ऑस्ट्रेलिया को ‘ऊर्जावान’ बनाएंगे प्रोफेसर नानजप्पा

भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद प्रोफेसर अस्वथ ने ऑस्ट्रेलिया के पौधों पर अध्ययन करना शुरू किया। हिंदू समुदाय से होने और परिवार से मिले संस्कार की वजह से प्रोफेसर अस्वथ पौधों को जीवंत ईश्वर की तरह पूजते हैं। उनका कहना है कि ये पौधे ऐसे जीवंत ईश्वर हैं जो हमारी धरती की रक्षा करते हैं।

भारतीय मूल के नानजप्पा अस्वथ ऑस्ट्रेलिया की केंद्रीय क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रोफेसर नानजप्पा अस्वथ करीब 40 साल से पौधों पर शोध कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में पैदा होने वाले एक खास पौधे से उन्होंने जैव ईंधन निकालने की तकनीक को विकसित किया है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भी जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ाने का खाका तैयार कर लिया है। इस पौधे का नाम है कोलोफाइलम इनोफायलम। भारत में यह पौधा चंपा या सुल्तान चंपा के नाम से जाना जाता है। भारत में इस पौधे से तेल निकालने की विधि बहुत ही पहले से रही है।

दरअसल, प्रोफेसर अस्वथ दक्षिण भारत के कर्नाटक के छोटे शहर के मूल निवासी हैं। बता दें कि दक्षिण भारत खासतौर पर तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान इन पौधों से तेल निकालते रहे हैं। दक्षिण भारत में यह सुल्तान चंपा के नाम से भी जाना जाता है। अगर किसी किसान के खेत में सुल्तान चंपा के दो पेड़ भी हैं तो वह डीजल की लागत कम कर सकता है। इस बात की जानकारी प्रोफेसर अस्वथ के जेहन में बचपन से थी। यही कारण है कि अस्वथ ने पौधों पर अध्ययन करने के लिए सिविल इंजीनियरिंग की। अपनी नौकरी छोड़ दी और कृषि विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। प्रोफेसर अस्वथ का कहना है कि यह एक छोटे साइज के आम के पौधे की तरह होता है। यह पौधा बंजर जमीन पर भी उग सकता है। इसके बीजों को सुखाकर इनसे तेल निकाला जाता है। और इसकी लागत भी कम होती है।

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