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भारत की ‘विद्रोही’ फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री को मिला एक और पुरस्कार

पायल कपाड़िया ने इससे पहले 2017 में लघु फिल्मों 'आफ्टरनून क्लाउड्स' और इसके अगले साल 'एंड व्हाट इज द समर सेइंग' का निर्देशन किया था। साल 2014 में उनकी फिल्म ‘लास्ट मैंगो बिफोर द मॉनसून’ ने ओबेरहौसेन फिल्म महोत्सव और मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पुरस्कार जीता था।

भारतीय फिल्मकार पायल कपाड़िया की डॉक्यूमेंट्री ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ ने सिडनी में आयोजित 10वें ऐंटीना डॉक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव में बेस्ट फीचर डॉक्युमेंट्री का पुरस्कार जीता है। इस फिल्म के लिए पुरस्कार के तौर पर पायल को करीब साढ़े सात लाख रुपये नकद मिले हैं। बता दें कि इससे पहले टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (TIFF) में यह फिल्म ‘ऐम्प्लीफाई वॉइसेज अवॉर्ड’ जीत चुकी है। इससे पहले पिछले साल जुलाई महीने में इस फिल्म ने कान फिल्म महोत्सव में ‘गोल्ड आई’ पुरस्कार अपनी झोली में डाला था। पायल की पहचान एक विद्रोही के तौर भी रही है। और यह उनकी फिल्मों में भी झलकता है।

पायल की फिल्म ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ भारत में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा की कहानी है, जो अपने प्रेमी को पत्र लिखा करती है, जो उससे दूर है। इन पत्रों के जरिये हमें उसके आसपास हो रहे बदलावों की झलक मिलती है। वास्तविकता के साथ फिक्शन, सपनों, यादों, कल्पनाओं और बेचैनियों को मिलाते हुए एक अनाकार कहानी सामने आती है। यह फिल्म भारत की तत्कालीन राजनीति पर कटाक्ष करती है, खासकर युवाओं पर। इस फिल्म की प्रेम कहानी में संघर्ष है जो युवाओं को दिलेरी के साथ यथास्थिति के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करती है। फिल्म की एक खास बात यह है कि पहले से ही एक फिल्म निर्माता के रूप में उनकी मजबूत आवाज को प्रदर्शित करती है। यह कभी-कभी हैरान करती है तो कभी सोचने पर मजबूर कर देती है।

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