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विदेश में इन कोर्स के माध्यम से भारतीय छात्रों ने बचाया लाखों रुपया

सर्वे यह भी कहता है कि 66.8 फीसदी छात्रों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि चल रही महामारी की लहर ने उनकी विदेशी अध्ययन योजना को प्रभावित किया है।

Photo by Siora Photography / Unsplash

विदेशों में अध्ययन करने की इच्छा रखने वाले 70 फीसदी से अधिक भारतीय छात्र महामारी के बाद के परिदृश्य में पैसे बचाने के लिए ऐसे कोर्स करने के इच्छुक हैं जिससे उनके न सिर्फ पैसे बच रहे हैं बल्कि कोरोना के चलते विदेश में जाकर पढ़ने की बजाय वह घर से पढ़ना मुनासिब मान रहे हैं। यह जानकारी एक सर्व में पता चली है। इस सर्वे में 4000 से अधिक छात्रों को शामिल किया गया था जो विदेश में ​उच्च शिक्षा के इच्छुक थे।

इनमें 66.8 फीसदी छात्रों का मानना था कि कोरोना महामारी ने उनकी विदेशी अध्ययन योजना को प्रभावित किया है। इस सर्वे को द वर्ल्डग्रैड द्वारा किया गया था जो एक ​विदेशी शिक्षा मंच है। द वर्ल्डग्रैड के इस सर्वे के अनुसार 72 फीसदी छात्रों ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना शिक्षा की लागत को कम करने के लिए हाइब्रिड कार्यक्रमों को चुना है। यह कार्यक्रम पार्ट ऑनलाइन और पार्ट ऑफलाइन डिग्री होते हैं। यह अनुपात कुछ महीने में ही 55 फीसदी बढ़ा है। ऐसे कोर्स के माध्यम से भारतीय छात्रों ने पढ़ाई में लगने वाले खर्च के अलावा विदेश में रहने, किराया आदि में लगने वाली रकम को भी बचाया है।

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