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कनाडा गए 700 भारतीयों के वीजा दस्तावेज फर्जी निकले, अब होगा प्रत्यर्पण

ये लगभग 700 भारतीय साल 2018-19 के दौरान कनाडा पढ़ने गए थे। इन्होंने तब वीजा पाने के लिए जो एडमिशन ऑफर लेटर दाखिल किए थे, अब वो जांच में फर्जी मिले हैं। इस बीच ये भारतीय कनाडा में पढ़ाई पूरी करके वर्क वीजा भी ले चुके थे और अब स्थायी निवासी बनने के लिए आवेदन दिया था कि पोल खुल गई।

Photo by Conor Samuel / Unsplash

कनाडा में पढ़ाई के लिए तकरीबन 700 भारतीय छात्रों को तगड़ा झटका लगा है। जांच में उनके एडमिशन लेटर और वीजा दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। अब उन्हें भारत वापस भेजने की कार्यवाही शुरु कर दी गई है। कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी (CBSA) ने इन 700 से अधिक भारतीयों को डिपोर्ट करने का नोटिस थमा दिया है।

ये भारतीय साल 2018-19 के दौरान कनाडा में पढ़ाई करने गए थे। Photo by Honey Yanibel Minaya Cruz / Unsplash

खबरों के मुताबिक, ये भारतीय साल 2018-19 के दौरान कनाडा में पढ़ाई करने गए थे। इन्होंने उस समय वीजा हासिल करने के लिए जो एडमिशन ऑफर लेटर दाखिल किए थे, अब वो जांच में फर्जी पाए गए हैं। इस बीच ये भारतीय कनाडा में पढ़ाई करने के बाद वर्क वीजा भी हासिल कर चुके थे और अब स्थायी निवास (PR) पाने के लिए आवेदन किया था। स्थायी निवास का दर्जा देने के लिए सीबीएसए की तरफ से की गई जांच में इनकी पोल खुल गई।

खबरें बताती हैं कि इन सभी भारतीयों ने पंजाब के जालंधर की एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस के जरिए स्टडी वीजा के लिए आवेदन दिए थे। बृजेश मिश्रा नाम का शख्स ये सर्विस चलाता है। दावा है कि मिश्रा ने वीजा दिलवाने के लिए हर छात्र से 16-20 लाख रुपये लिए थे। इसमें कनाडा के प्रीमियर कॉलेजों में एडमिशन की फीस और अन्य खर्चे शामिल थे लेकिन हवाई टिकट और सिक्योरिटी डिपोजिट की फीस अलग थी।

इन लगभग 700 भारतीय छात्रों ने स्टडी वीजा पर कनाडा आकर अपनी पढ़ाई पूरी की। उसके बाद वर्क वीजा हासिल करके नौकरी भी करने लगे। दो साल की समयसीमा बीतने के बाद जब वे परमानेंट रेजिडेंट बनने के पात्र हुए तब इसके लिए आवेदन दिया।

स्थायी निवास का दर्जा पाने के लिए इन युवकों ने इमिग्रेशन अफसरों के सामने प्रतिवेदन दिया। इस दौरान सीबीएसए ने उनके दस्तावेज वेरिफाई किए तो पूरा घोटाला सामने आया। बताया गया कि इन छात्रों को जो एडमिशन ऑफर लेटर दिए गए थे, वो फर्जी थे। अब सीबीएसए ने इन सभी को डिपोर्ट करने का नोटिस जारी कर दिया है।

जानकारों के अनुसार अब इन सैकड़ों भारतीयों के सामने एक विकल्प ये है कि सीबीएसए की तरफ से जारी नोटिस को अदालत में चुनौती दें। इसमें 3 से 4 साल का वक्त लग सकता है। कनाडा में वकीलों की सेवाएं लेना भी बहुत महंगा है।

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