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73 वर्ष पूर्व राजा ने किया था आखिरी शिकार, अब चीतों से फिर गुलजार होगा भारत

कार्ययोजना के तहत पहले साल में नामीबिया या दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाया जाएगा। नर चीतों के एक समूह का चयन किया जाएगा कोशिश यह रहेगी की जो मादा चीता भारत लाई जा रही हैं, वे एक-दूसरे से परिचित हों। इन चीतों को मध्यप्रदेश के चंबल संभाग स्थित कूनो राष्ट्रीय पार्क में रखा जाएगा।

Photo by David Groves / Unsplash

भारत के राज्य छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 73 साल पहले एक वयस्क धब्बेदार चीता (Cheetah, Leopard) और दो शावकों का शिकार किया था। उन्होंने इसकी तस्वीरें बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी को भेजी थीं। वर्ष 1947 में अपने शिकार के साथ खड़े महाराजा की चीतों के साथ यह तस्वीर भारतीय इतिहास में अंतिम साबित हुई। आखिरकार 1952 में सरकार ने अधिकारिक तौर पर चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया। 1952 में विलुप्त हो जाने के बाद चीता एक बार फिर भारत में नजर आने के लिए तैयार हैं।

कार्ययोजना के मुताबिक जंगली वातावरण में चीतों को खुले में रखा जाएगा। जहां बड़े मैदान के भीतर उन्हें कहीं भी आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। Photo by Sammy Wong / Unsplash

भारत सरकार ने बुधवार को एक कार्ययोजना की घोषणा की, जिसके तहत अगले पांच साल में 50 चीता देश में लाए जाएंगे। भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 19वीं बैठक में कार्य योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत में विलुप्त हो चुके चीता भारत में वापसी के लिए तैयार हैं। कार्ययोजना के अनुसार, 10-12 युवा चीतों का एक समूह लाया जाएगा, जिसमें नर और मादा चीते शामिल होंगे। इनमें उन चीतों को लाया जाएगा जो प्रजनन के लिए आदर्श होंगे।

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