भारत सरकार ने लोकसभा में बताया है कि चीन और हांगकांग से जुड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के 54 प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन हैं। ये सभी प्रस्ताव चालू वर्ष और पिछले वर्ष के हैं। भारत की जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों पर लगाए गए प्रतिबंधों के तहत ये एफडीआई प्रस्ताव अभी तक लंबित हैं।
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत सरकार 2020 में कोविड महामारी फैलने के बाद से देश की भूमि साझा करने वाले सीमावर्ती देशों के साथ विदेशी निवेश के प्रस्तावों पर सोच-समझकर काम कर रही है। इन सीमावर्ती देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जोर चीन पर है। चीन की हुवावे जैसी कई टेक्नॉलजी कंपनियां हैं जिनका चीनी आर्मी से संबंध है।
वर्ष 2020 में कोविड के प्रकोप से बचने के लिए जमीन साझा करने वाली सीमाओं से सतर्कता बरती गई। लेकिन चीन के साथ एलएसी पर हुई दोनों देशों की सेनाओं में झड़प के बाद विदेशी निवेश का मामला बिगड़ता जा रहा है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि भविष्य में विदेशी निवेश की जब भी बात चलेगी, तो भारत सरकार की मंजूरी के बाद ही उन देशों के निवेशक यहां आ सकेंगे।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि उन कंपनियों से विदेशी निवेश पर किसी भी तरह से प्रतिबंध को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। जो कंपनियां उन देशों में हैं जिनकी जमीनी सीमा भारत से साझा होती है, उन पर प्रतिबंध में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।
इन देशों के निवेशकों की तरफ एफडीआई प्रस्तावों की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अप्रैल 2020 के बाद से भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले काफी कम देशों को स्वीकृति मिली है। पिछले साल सरकार ने कहा था कि भारत की भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 423 प्रस्ताव आए थे, जिनमें से भारत ने मात्र 98 को स्वीकृति दी थी।