भारत द्वारा कोरोना महामारी से निपटने के लिए तेज गति से बनाई गई वैक्सीन का ही फल है कि भारत में पहले ही वर्ष में लाखों लोगों की बच गई। यदि वैक्सीन का निर्माण तय वक्त में नहीं होता तो भारत में शुरुआती एक साल के भीतर मौतों की यह संख्या 42.10 लाख होती। ऐसी आशंका 'द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज' में प्रकाशित हुई रिपोर्ट में जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पहले साल में दुनिया में महामारी से निपटने के लिए बनाई गई वैक्सीन की वजह से 1.98 करोड़ मौतें होने से बची हैं।
अध्ययन का अनुमान है कि 8 दिसंबर 2020 और 8 दिसंबर 2021 के बीच सिर्फ भारत में ही 42.10 लाख मौतों को टीकाकरण से रोका गया है। भारत में जनवरी 2021 में टीकाकरण शुरू किया गया था। इंपीरियल कॉलेज लंदन के अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. ओलिवर वाटसन ने भारतीय मीडिया को बताया कि यह दर्शाता है कि किस तेजी के साथ भारत में टीकाकरण किया गया। ये अनुमान कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अधिक मृत्यु दर के अनुमानों पर आधारित है, जो उन्होंने अर्थशास्त्री से प्राप्त किए हैं और उन अनुमानों के समान हैं जो डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने रिपोर्ट किए हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे समूह ने स्वतंत्र रूप से अधिक मृत्यु दर और सर्पोप्रवलेंस सर्वेक्षणों की रिपोर्ट के आधार पर कोविड-19 की मौत की जांच की है। भारत ने जनवरी 2021 में टीकाकरण शुरू किया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 196.62 करोड़ से अधिक टीकाकरण हो चुका है। भारत दुनिया के सबसे तेज टीकाकरण अभियानों में से एक रहा है। डेटा के अनुसार 65 फीसदी से अधिक आबादी पूरी तरह से टीकाकरण कर चुकी है।
यह अध्ययन 185 देशों और क्षेत्रों के आंकड़ों पर आधारित है। इसमें पाया गया है कि उच्च और उच्च-मध्यम आय वाले देशों में टीकाकरण की वजह से 1.98 करोड़ में से 1.22 मौंते होने से बची हैं। हालांकि यह दुनिया में असमानताओं का उजागर करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर डब्ल्यूएचओ का 2021 के अंत तक हर देश में 40 फीसदी आबादी को टीकाकरण का लक्ष्य पूरा कर लिया गया होता तो और 5.99 लाख मौतों को टाला जा सकता था। दुनिया भर में वैक्सीन रोलआउट की गति के बावजूद दिसंबर 2020 में पहला टीका दिए जाने के बाद से अब तक 35 लाख से अधिक कोविड-19 मौतें हो चुकी हैं।