भारत से 36 लोगों को ले गए विदेश, अब बंधक बना करा रहे जबरन काम
भारत के झारखंड राज्य के कम से कम 36 प्रवासी मजदूर पिछले दो महीनों से मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं। वे वहां रोजगार की तलाश में गए थे। अब झारखंड की राज्य सरकार उन्हें सुरक्षित वापस लाने के प्रयास कर रही है।
झारखंड के 36 श्रमिक ताजिकिस्तान में फंस गये हैं. कंपनी ने 4 महीने से वेतन नहीं दिया. धनबाद, हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह के ये श्रमिक दाने-दाने को मोहताज हैं. झारखंड व भारत सरकार से इन्हें काफी उम्मीदें हैं. उम्मीद है, सरकार इनकी मदद करेगी.@HemantSorenJMM @PMOIndia @narendramodi pic.twitter.com/MaRnGuUGJT
— Mithilesh Jha (@Mithilesh_Jha1) February 12, 2023
मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की। इन मजदूरों बिजली पारेषण (ट्रांसमिशन) लाइन बिछाने का काम लिया जा रहा है। वे लोग कहीं काम छोड़कर नहीं चले जाएं, इसके लिए उन्होंने मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं।
दावा किया जा रहा है कि इन मजदूरों का हाल इतना बुरा है कि उन्हें मजदूरी के पैसे भी नहीं दे रहे हैं और घटिया किस्म का खाना देकर उनसे कड़ी मेहनत करवा रहे हैं। किसी तरह यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली तक पहुंची। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की नजर में मामले को लाया।
उन्होंने कहा कि भारत में काम कर रही फर्म के एजेंटों ने उन मजदूरों के लिए अच्छे वेतन का वादा किया था। इसके बाद पिछले साल 19 दिसंबर को वहां के मजदूर मध्य एशियाई देश के लिए रवाना हुए थे।
मजदूर भारत के झारखंड राज्य के हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह जिलों के रहने वाले हैं। हजारीबाग की उपायुक्त नैन्सी सहाय ने भारत की स्थानीय मीडिया एजेंसी को बताया कि श्रमिकों के परिजनों से शिकायतें मिली हैं कि उन्हें बंधुआ मजदूरों की तरह जीवन जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सहाय ने कहा कि शिकायतों के आधार पर राज्य प्रवासी प्रकोष्ठ को संबंधित अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए सूचित किया गया है। ताजिकिस्तान में फंसे मजदूरों की जल्द रिहाई और सुरक्षित वापसी के रास्ते तलाशे जा रहे हैं।
ताजिकिस्तान में फंसे मजदूरों ने सोशल मीडिया पर मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री से अपील की है कि वे उन्हें सुरक्षित बाहर निकालें और वतन वापसी सुनिश्चित करें। मजदूर कह रहे हैं कि वे वहां दाने-दाने के लिए तरस गए हैं। मजदूरों का आरोप है कि ठेकेदार ने उन सभी से काम करवाया लेकिन पिछले मजदूरी के नाम पर उन्हें कुछ नहीं दिया। अब उनके सामने भूखमरी के हालात पैदा हो गए हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब गरीब मजदूर विदेशों में फंसे हैं। ताजिकिस्तान में ही कुछ समय पहले 44 मजदूर इसी तरह फंस गए थे। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता की पहल पर उन्हें वहां से छुड़ाया गया था।